01 poem dedicated to father on Father’s day
परिवार रूपी बगिया के माली,
करने वाले बगीचे की रखवाली।
बागबान रूपी वो पिता हैं।।
भरी दोपहरी में भी कमाने वाले,
दो वक्त की रोटी खिलाने वाले।
किसान रूपी वो पिता हैं।।
खेल खिलौने दिलाने वाले,
चेहरों पे मुस्कान लाने वाले।
इंसान रूपी वो पिता हैं।।
कापी क़िताब दिलाने वाले,
ज्ञान की दीप जलाने वाले।
गुणवान रूपी वो पिता हैं।।
अपनी ख्वाहिशों को समेटकर,
हर जरूरतों को पूरी करने वाले।
आसमान रूपी वो पिता हैं।
अपना सर्वस्व न्यौछावर कर,
परिवार की खुशियां संजोने वाले।
भगवान रूपी वो पिता हैं।।
-दिगम्बर
For more poetry follow: Click here
good poem
Heart touching poem
Your point of view caught my eye and was very interesting. Thanks. I have a question for you.
Your article helped me a lot, is there any more related content? Thanks!
Your article helped me a lot, is there any more related content? Thanks!